कनाडा के मिसिसागा में राम मंदिर को जिस तरह निशाना बनाया गया और उसकी दीवारों पर भद्दे, अपमानजनक एवं भड़काऊ नारे लिखे गए, उससे यह स्पष्ट है कि ऐसी हरकतें करने वाले तत्व बेलगाम होते जा रहे हैं। चूंकि दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में भी नारे लिखे गए, इसलिए इसमें कोई संशय नहीं रह जाता कि इसके पीछे खालिस्तानी अतिवादियों का हाथ है। हाल के समय में यह तीसरी बार है, जब कनाडा में किसी मंदिर को निशाना बनाया गया हो। कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी भारतीयों पर भी हमले कर चुके हैं। इसके अलावा वे खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह कराने का तमाशा भी कर चुके हैं। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि खालिस्तानी अतिवादी यह सब करने में इसीलिए समर्थ हैं, क्योंकि वोट बैंक की सस्ती राजनीति के कारण कनाडा की वर्तमान सरकार उनकी घृणा फैलाने वाली हरकतों की अनदेखी करना पसंद कर रही है।

स्पष्ट है कि कनाडा सरकार के प्रति भारत को अपना रवैया कठोर करना होगा, क्योंकि वह खालिस्तानी चरमपंथियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई करती नहीं दिखती। कनाडा सरकार अपने ढुलमुल रवैये से खालिस्तानियों का दुस्साहस ही बढ़ा रहा है। दुर्भाग्य से वह यह जानते हुए भी ऐसा कर रही है कि अतीत में कनाडा के खालिस्तानी किस तरह आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। इनमें एयर इंडिया के विमान में विस्फोट की घटना भी है, जिसमें तीन सौ से अधिक यात्री मारे गए थे।

समस्या केवल यह नहीं है कि कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी अनियंत्रित हो रहे हैं, बल्कि यह भी है कि वे आस्ट्रेलिया में भी बेलगाम हो रहे हैं। इस तथ्य को ओझल नहीं किया जा सकता कि आस्ट्रेलिया में खालिस्तानियों की ओर से तीन मंदिरों को निशाना बनाया जा चुका है। कनाडा और आस्ट्रेलिया में मंदिरों के बाहर जैसे भारत विरोधी घृणित नारे लिखे गए और जिस प्रकार भिंडरांवाले का गुणगान किया गया, उससे खालिस्तानियों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का ही पता चलता है। भारत सरकार को केवल कनाडा, आस्ट्रेलिया के साथ कुछ अन्य देशों में खालिस्तानियों की सक्रियता से ही चिंतित नहीं होना चाहिए, बल्कि इससे भी होना चाहिए कि अन्य भारत विरोधी तत्व और विशेषकर जिहादी शक्तियां भी विदेश में मंदिरों को निशाना बना रही हैं।

इसे विस्मृत नहीं किया जा सकता कि कुछ समय पहले ब्रिटेन के लेस्टर शहर में जिहादी तत्वों ने एक मंदिर को निशाना बनाया था। खतरनाक बात यह है कि जिहादी और खालिस्तानी न केवल एक ही एजेंडे पर काम कर रहे हैं, बल्कि वे मिलकर हिंदू विरोध को हवा भी दे रहे हैं। भारत को उनसे सतर्क रहना होगा। भारत सरकार को इससे भी चिंतित होना चाहिए कि हिंदुओं के प्रति घृणा का भाव बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी बढ़ रहा है। यह घृणा भाव यही बताता है कि हिंदूफोबिया अब एक हकीकत है।