राजनीतिक गठबंधन के बीच बजट प्रस्तुत करना हमेशा मुश्किल रहा है। मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी के लिए राजकोषीय दृष्टि से अच्छा बजट तैयार करना आसान नहीं रहा होगा। ऐसा बजट, जो न सिर्फ नए राजनीतिक साथियों को, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को भी शांत करे।

इन सीमाओं के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने सातवें बजट में लोक-लुभावन और राजकोषीय मजबूती के बीच अच्छा संतुलन बनाया है। देश की मौजूदा जरूरत इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से मजबूत करना, श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाना और सरकार के कर्ज का आकर काम करना है। दुनिया के आर्थिक और राजनीतिक ट्रेंड ने भारत को एक विश्व शक्ति के रूप में उभरने का मौका दिया है। 2024-25 का बजट इस लक्ष्य के मुताबिक है। यह नए जमाने का बजट है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च, ग्रामीण क्षेत्र का आर्थिक विकास, युवाओं के लिए रोजगार सृजन और स्वच्छ ऊर्जा की ओर ट्रांजिशन को प्राथमिकता दी गई है।

इस बजट में कुल 48.2 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है जो फरवरी 2024 के अंतरिम बजट की तुलना में लगभग 50,000 करोड़ रुपये अधिक है। यह 50,000 करोड़ रुपये की पूरी रकम राजस्व खर्च में लगाई गई है। यह 1. 2 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व आय के कारण संभव हो सका है। यह अतिरिक्त आय आरबीआई के डिविडेंड, सार्वजनिक कंपनियों की प्रॉफिट शेयरिंग और ब्याज से होने वाली सरकार की आय के कारण हुई है। यहां ध्यान रखने वाली बात है कि सरकार ने 1.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि को पूरा खर्च नहीं किया। यह बात सरकार के राजकोषीय अनुशासन को दिखाती है।

पहली बार नौकरी पाने वालों के लिए घोषणाएं और इंटर्नशिप प्रोग्राम रोजगार सृजन के लिहाज से इनोवेटिव कदम हैं। इन योजनाओं के कारण संबंधित मंत्रालयों- कंपनी मामले और श्रम तथा रोजगार मंत्रालय का बजट अंतरिम बजट की तुलना में क्रमशः 300% और 78% बढ़ गया है। सरकार के इस विवेकपूर्ण कदम का पूरी अर्थव्यवस्था पर मल्टीप्लायर इफेक्ट होगा, खासकर बेरोजगारों को डायरेक्ट ट्रांसफर वाली योजनाओं की तुलना में।

एमएसएमई पर फोकस और उन्हें कर्ज हासिल करने के योग्य बनाने का कदम प्रशंसनीय है। इससे खासकर छोटे शहरों की इकाइयों में नौकरियों के अवसर निकलेंगे और उत्पादन बढ़ेगा। अनुमान है कि हर एमएसएमई दो नौकरी पैदा कर सकती है। अर्थात देश की 6 करोड़ एमएसएमई 12 करोड़ नौकरियों का सृजन कर सकती हैं।

पीएम आवास योजना दोबारा शुरू करना बहुत जरूरी था। इससे भारतीय शहरों में अफॉर्डेबल हाउसिंग को बूस्ट मिलेगा और भारत में शहरीकरण की दर भी बढ़ेगी। मैं इस इनोवेटिव बजट के लिए वित्त मंत्री को बधाई देना चाहूंगा। इसमें न सिर्फ अर्थ-गणित का कुशलता से ध्यान रखा गया है, बल्कि इसमें हाशिये पर खड़े लोगों के प्रति मानवीय नजरिया भी दिखता है।