जागरण प्राइम, नई दिल्ली। मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिश और ओले से फसल प्रभावित होने का असर अब गेहूं के दाम पर दिखने लगा है। हफ्तेभर में यह 150 रुपये से 170 रुपये प्रति क्विंटल तक महंगा हो चुका है। गुरुवार को दिल्ली के आटा मिलों ने अच्छी क्वालिटी वाला गेहूं 2,450 रुपये क्विंटल से अधिक भाव पर खरीदा। पिछले साल भी फरवरी में अचानक तेज गर्मी पड़ने से गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी और कुछ राज्यों में दाम 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। हालांकि इस साल अभी तक दाम उस स्तर तक पहुंचने के आसार नहीं लग रहे हैं।

रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नवनीत चितलांगिया ने जागरण प्राइम को बताया कि गुरुवार को दिल्ली में बिना चमक वाले गेहूं का भाव 2420 रुपये और चमक वाले गेहूं का 2460 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जयपुर में बिना चमक वाला गेहूं 2400 रुपये और चमक वाला गेहूं 2450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिका। उन्होंने बताया कि बीते एक सप्ताह में गेहूं का दाम 150 से 170 रुपये क्विंटल तक (लगभग 7.5%) बढ़ गया है। खराब मौसम के कारण अनेक जगहों पर गेहूं की क्वालिटी प्रभावित हुई थी, जिससे उसकी चमक खराब हुई है।

कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 1 फरवरी से 15 मार्च 2023 तक आटा मिलों और फूड प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को 33.7 लाख टन गेहूं की बिक्री की थी। यह बिक्री साप्ताहिक हुई थी। इससे कुछ जगहों पर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे आ गए थे। हालांकि, चितलांगिया के अनुसार जिन जगहों पर स्टॉक कम था वहां 2,400 रुपये के भाव भी गेहूं बिका था। एफसीआई जुलाई से तिमाही आधार पर ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं की बिक्री करेगा। हर तिमाही कितने गेहूं की बिक्री होगी, यह बाजार कीमतों पर निर्भर करेगा।

खरीद कम, लेकिन बफर स्टॉक पर्याप्त

बफर मानकों के अनुसार 1 अप्रैल को सरकार के पास गेहूं का स्टॉक 74.60 लाख टन और 1 जुलाई को 275.80 लाख टन होना चाहिए। इस साल 1 अप्रैल को तो स्टॉक 2017 के बाद सबसे कम, 83.45 लाख टन ही रह गया था, लेकिन उसके बाद खरीद बढ़ने पर इसमें बढ़ोतरी हुई है। मई की शुरूआत में गेहूं का स्टॉक 290.28 लाख टन था और उपभोक्ता मामले तथा खाद्य मंत्रालय के अनुसार यह 9 मई तक 310 लाख टन तक पहुंच गया था।

सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में 341.50 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है। हालांकि, एफसीआई के अनुसार 15 मई तक 259 लाख टन गेहूं की ही खरीद हो पाई है। इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल है और बाजार भाव इससे ऊपर पहुंच गए हैं। दूसरे, ज्यादातर राज्यों में खरीद बंद हो चुकी है या अंतिम चरण में है। इसलिए खरीद का लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद कम ही है। हालांकि, अब तक की खरीद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त होगी। पिछले साल भी 444 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 187.92 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी।

46.5% गेहूं की खरीद अकेले पंजाब से

एफसीआई के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 15 मई तक सबसे अधिक 120.50 लाख टन गेहूं की खरीद पंजाब में हुई है। यह कुल खरीद का 46.5% है। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 69.83 लाख टन की खरीद हुई। हरियाणा 62.91 लाख टन खरीद के साथ तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में राजस्थान में 3.67 लाख टन और उत्तर प्रदेश में सिर्फ 1.97 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। पंजाब राज्य कृषि मार्केटिंग बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वहां अब तक 125.71 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है।

सरकारी खरीद एमएसपी पर होती है और इस साल का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने बताया कि 12 मई के बाद मध्य प्रदेश में गेहूं के भाव खुले बाजार में 2150 रुपये हो गए थे। उसके बाद किसानों ने मंडी आना लगभग बंद कर दिया। वे खुले बाजार में ही गेहूं बेचने लगे। इस समय राज्य के रीवा क्षेत्र में भाव 2180 रुपये प्रति क्विंटल है तो मालवा क्षेत्र में यह 2200 रुपये के पार चला गया है। शरबती गेहूं 2800 रुपये क्विंटल से ऊपर बिक रहा है। राज्य में सरकारी खरीद 20 मई को बंद हो चुकी है।

प्रति एकड़ 8-10 क्विंटल का नुकसान

फरवरी में गर्मी बढ़ने और मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिश के साथ ओले पड़ने से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है। अप्रैल की शुरुआत में सरकार ने कहा था कि बारिश और ओले पड़ने से गेहूं की 8 से 10 प्रतिशत फसल को क्षति पहुंची है। बारिश और ओले से मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 5.23 लाख हेक्टेयर में फसल को नुकसान हुआ था। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल 1 मार्च से अप्रैल के पहले हफ्ते तक पंजाब में औसत से 205% और हरियाणा में 220% अधिक बारिश हुई। उत्तर प्रदेश में इस दौरान 250% अधिक बारिश हुई।

पंजाब के मोहाली जिले के किसान शमशेर ने बताया कि औसत उत्पादन 20 क्विंटल प्रति एकड़ से घटकर 10 से 11 क्विंटल रह गया। हरियाणा में नुकसान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर करीब एक लाख किसानों ने आवेदन किया। हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारियों ने अप्रैल के पहले हफ्ते में करीब 20% फसल प्रभावित होने की बात कही थी।

मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के द्विवेदी ने बताया कि जिन खेतों से किसान प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक की उपज लेते थे, उनमें इस साल सिर्फ 12 क्विंटल की पैदावार हुई है। प्रति एकड़ आठ क्विंटल का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस साल गेहूं की बुवाई ज्यादा इलाके में हुई थी, शुरूआत में फसल भी अच्छी थी। अगर वही स्थिति रहती तो इस साल रिकॉर्ड उत्पादन होता।

लगातार दूसरे साल लक्ष्य से कम उत्पादन

इस बार 340 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई के बाद सरकार ने पिछले साल से करीब 5% ज्यादा, 11.21 करोड़ टन उत्पादन का शुरूआती अनुमान लगाया था। पिछले साल भी अचानक गर्मी बढ़ने से गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी। सरकार का शुरुआती अनुमान 11.13 करोड़ टन उत्पादन का था, जबकि वास्तविक उत्पादन लगभग 10.7 करोड़ टन रहा। अगर इस साल भी उत्पादन लक्ष्य से कम रहता है, तो लगातार दूसरे साल ऐसा होगा।

गेहूं की घरेलू खपत 10 करोड़ टन सालाना के आसपास है। पीडीएस में लगभग 240 लाख टन गेहूं का आवंटन होता है। पिछले साल कम उत्पादन के चलते गेहूं का आवंटन कम कर चावल का आवंटन बढ़ाया गया था। इसके अलावा पीएम-पोषण तथा अन्य योजनाओं के तहत लगभग 23 लाख टन गेहूं का आवंटन होता है। आम तौर पर अप्रैल-मई में गेहूं की फसल आने पर इसके दाम कम होते हैं, लेकिन इस बार अप्रैल में गेहूं की महंगाई दर 15.46% दर्ज हुई है। इसे देखते हुए गेहूं निर्यात पर फिलहाल रोक जारी रहने के आसार हैं। पिछले साल मई में यह रोक लगाई गई थी। सिर्फ खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार के स्तर पर गेहूं निर्यात की अनुमति है।