विवेक देवराय और आदित्य सिन्हा। देश के भविष्य के लिए दीर्घकालिक योजना अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ऐसी योजनाओं से सतत आर्थिक वृद्धि एवं चहुंमुखी विकास के लिए संसाधनों का रणनीतिक आवंटन सुगम होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में ऐसी ही दूरदर्शिता का परिचय दिया। उन्होंने तात्कालिक राजनीतिक लाभ के बजाय दूरगामी एवं व्यापक लाभ को वरीयता दी, जिससे भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रयासों को और गति मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का जो आह्वान किया था, उस सिद्धि को प्राप्त करने में अंतरिम बजट के कुछ प्रविधान संकल्प की भूमिका में दिख रहे हैं। इसी कड़ी में पहला कदम पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित करने का है। बुनियादी ढांचागत विकास सरकार की प्राथमिकताओं में बना हुआ है।

आधारिक संरचना को और मजबूत बनाने के लिए सरकार ने अवसंरचना क्षेत्र के लिए 11.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर 11.1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसके माध्यम से रेलवे नेटवर्क, मेट्रो रेल, विमानन और हरित ऊर्जा पर काम किया जाएगा। बुनियादी ढांचे पर इतने भारी खर्च का अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे जहां बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा तो आर्थिक वृद्धि की गति और तेज होगी। देश के बहुमुखी विकास के लिए ये दोनों ही आवश्यक पहलू हैं।

भारत तेज आर्थिक वृद्धि की ओर अग्रसर है, लेकिन इस राह में देश का पूर्वी हिस्सा कुछ पीछे रह गया। उसकी भरपाई के लिए सरकार भारत के इस हिस्से पर पूरा ध्यान दे रही है कि वह देश की तेज आर्थिक वृद्धि के साथ कदमताल करे और उसका लाभ यहां के लोग भी उठा पाएं। इससे जहां क्षेत्रीय असंतुलन दूर होगा, वहीं समावेशी वृद्धि को बल मिलेगा। इसके साथ ही राज्य सरकारों के अहम सुधारों को प्रोत्साहन देने के लिए 50 वर्षों के लिए 75,000 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण की पेशकश भी सराहनीय कही जाएगी। इस कवायद का उद्देश्य राज्यों को विकास-केंद्रित सुधारों के लिए प्रोत्साहित करना है।

विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए राज्यों का व्यापक विकास अत्यंत आवश्यक है। भारत की आर्थिक वृद्धि में उसके राज्यों की जटिल कड़ियां भी जुड़ी हुई हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार राज्यों को सुधारों के लिए प्रेरित करने के साथ ही सुधार करने वाले राज्यों को पुरस्कृत भी कर रही है। इससे राज्यों में सुधारों के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जो देश की आर्थिक वृद्धि में अहम भूमिका निभाएगी।

सरकार विकसित भारत के संकल्प पूर्ति की दिशा में विदेशी निवेश को आकर्षित करने पर भी पूरा जोर दे रही है। वह कई देशों के साथ द्विपक्षीय निवेश संधियों पर वार्ता में लगी है। यह दृष्टिकोण भारत के दूरगामी हितों की पूर्ति करने वाला है, क्योंकि इससे निवेश, नवाचार और तकनीकी उन्नयन के लिए अनुकूल परिवेश तैयार होने के साथ ही आर्थिक वृद्धि को नए पंख लगेंगे।

विदेशी निवेश को आकर्षित करने से भारत-पूंजी, तकनीकी हस्तांतरण और विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा, जो देश के समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक अवयव हैं। इसी आवश्यकता को महसूस करते हुए सरकार ने नवाचार को रफ्तार देने का निर्णय किया है। इस दिशा में 50 वर्षों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने वाले कोष के गठन की पहल एक रणनीतिक कदम है। इससे निजी क्षेत्र नई संभावनाओं से भरे सेक्टरों में शोध एवं नवाचार के लिए निवेश करने को आगे आएगा। इससे ऐसा अनुकूल परिवेश सृजित होगा, जो एक समृद्ध आर्थिक भविष्य सुनिश्चित करने में प्रभावी भूमिका निभाएगा।

जलवायु परिवर्तन समकालीन दौर की एक बड़ी चुनौती है। सरकार इस चुनौती की गंभीरता को समझते हुए उससे निपटने के लिए संकल्पबद्ध है। इसी दिशा में हरित ऊर्जा से जुड़ी कई पहल की गई हैं और ऐसी कई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की तैयारी है। सरकार पवन ऊर्जा से जुड़ी संभावनाओं को व्यापक स्तर पर भुनाने और इस राह में वित्तीय संसाधनों सहित तमाम अन्य बाधाओं को दूर करने की राह तैयार कर रही है।

इसी प्रकार सौर ऊर्जा के समुचित दोहन की योजना बनाई जा रही है। इसके माध्यम से करीब एक करोड़ घरों को छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में सक्षम बनाया जाएगा, ताकि हर महीने तकरीबन 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिल सके। इस कदम से न केवल ऊर्जा के लिए अक्षय स्रोत की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, बल्कि हरेक घर के पैसों की बचत भी होगी और कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे।

सरकार ग्रीन हाइड्रोजन के स्तर पर भी प्रयासरत है। इसके लिए वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोल गैसिफिकेशन और द्रवीकरण क्षमता स्थापित करने की योजना है। इससे प्राकृतिक गैस, मेथेनाल और अमोनिया के आयात को घटाने में मदद मिलेगी। ये कदम न केवल विकसित भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, बल्कि वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो’ के लक्ष्य की पूर्ति में भी सहायक होंगे।

अंतरिम बजट एक प्रकार से जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट की आधारशिला रखने वाला है। इसका विस्तारित खाका तो पूर्ण बजट में ही दिखेगा, फिर भी अंतरिम बजट इसकी झलक अवश्य पेश करने में सफल रहा कि सरकार किस तरह देश के भविष्य को संवारने के लिए अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम रही है।

(देवराय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख और सिन्हा परिषद में ओएसडी-अनुसंधान हैं)