यह संतोषजनक है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हेल्पलाइन नंबर 1930 के संचालन के बाद इसका आकलन करने में आसानी हो रही है कि किस तरह से साइबर अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। यह हेल्पलाइन न केवल साइबर ठगी के शिकार लोगों को उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा वापस दिलाने में कारगर साबित हो रही है, बल्कि यह बताने में भी कि साइबर अपराधों को अंजाम देने वाले कहां अधिक सक्रिय हैं।

इस सबके बावजूद यह चिंताजनक है कि साइबर अपराध के मामले थमते नहीं दिख रहे हैं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि साइबर अपराधियों के खिलाफ जैसे-जैसे शिकंजा कसने की कोशिश हो रही है, वैसे-वैसे वे बेलगाम होते जा रहे हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा होता हो, जब साइबर ठगी का समाचार पढ़ने-देखने को न मिलता हो। साइबर अपराध किस तेजी से बढ़ रहे हैं, इसका पता इससे चलता है कि प्रतिदिन हेल्पलाइन नंबर 1930 पर 45-50 हजार शिकायतें दर्ज हो रही हैं।

इस आंकड़े से यही पता चलता है कि साइबर अपराधी बेलगाम बने हुए हैं। कभी वे मोबाइल फोन करके लोगों से उनकी निजी जानकारियां हासिल करने के बाद उन्हें ठगते हैं तो कभी कोई लालच देकर। साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। कुछ साइबर अपराधी तो इतने दुस्साहसी हैं कि वे फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को ठगते हैं। इसी तरह कुछ फर्जी काल सेंटर बनाकर यही काम करते हैं। वे देश में बैठकर विदेश के लोगों को ठगते हैं। ऐसे न जाने कितने फर्जी काल सेंटर पकड़े जा चुके हैं।

एक समय था, जब झारखंड का जामताड़ा साइबर अपराधियों के गढ़ के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब देश के कई हिस्सों में जामताड़ा बन गए हैं। उदाहरणस्वरूप हरियाणा-राजस्थान का मेवात इलाका भी एक नए जामताड़ा के रूप में उभर आया है। कुछ समय पहले नूंह में जो सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, उसमें उपद्रवियों ने एक साइबर थाने को भी निशाना बनाया था। जामताड़ा और मेवात के साइबर अपराधियों की सक्रियता के पीछे एक बड़ा कारण उनकी ओर से अवैध तरीके से सिम कार्ड हासिल किया जाना है।

आम तौर पर साइबर अपराधी बंगाल और ओडिशा से सिम हासिल करते हैं। इसका मतलब है कि इन दोनों राज्यों में सिम बेचने के लिए आवश्यक दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। दूरसंचार विभाग को देखना होगा कि इन राज्यों में सिम बेचने के मामले में उसके निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है?

चूंकि यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि कुछ सिम बेचने वाले भी साइबर अपराधियों से मिले होते हैं, इसलिए उन्हें भी दंड का भागीदार बनाना आवश्यक है। इसके साथ ही आम लोगों को सचेत करना भी जरूरी है, क्योंकि कई लोग अपनी अज्ञानता के चलते साइबर अपराधियों का शिकार बनते हैं। निःसंदेह यह भी देखना होगा कि साइबर अपराधी बेखौफ क्यों हैं?