कश्मीर के उड़ी में पाकिस्तानी सेना की फायरिंग के बीच तीन आतंकियों का मारा जाना यह बताता है कि पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ कराने से बाज नहीं आ रहा है। सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए ये तीनों आतंकी घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। इसका अर्थ यह भी है कि सीमा पार आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्र अभी भी चल रहे हैं। यह ठीक है कि इधर सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ में कमी आई है और जो घुस आते हैं, उनका बड़ी संख्या में सफाया भी किया गया है, लेकिन पाकिस्तान में जब तक जिहादी ठिकाने चलते रहेंगे, तब तक आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश भी होती रहेगी और इसके चलते कश्मीर में पूरी तौर पर शांति बहाल करने में समय भी लगेगा।

वक्त आ गया है कि भारत इस पर फिर से विचार करे कि सीमा पार आतंकियों के जो अड्डे चल रहे हैं, उन्हें कैसे नष्ट किया जाए? यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान सही सबक नहीं सीख सका है। वह केवल आतंकियों को प्रशिक्षित ही नहीं कर रहा, बल्कि जो आतंकी कश्मीर में सक्रिय हैं, उन्हें ड्रोन से हथियार भी उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा वह दुष्प्रचार का सहारा लेकर कश्मीरी युवाओं को आतंक की राह पर चलने के लिए उकसाने का भी काम कर रहा है।

पाकिस्तान कश्मीर को अशांत करने में इसीलिए फिर से जुट गया है, क्योंकि वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया है। भारत को विश्व समुदाय को इसके लिए फिर से सहमत करना होगा कि पाकिस्तान को नए सिरे से इस अंतरराष्ट्रीय संस्था की निगरानी में लाया जाए। यह शुभ संकेत नहीं कि जम्मू-कश्मीर में इधर स्थानीय और पाकिस्तान से आए आतंकियों की गतिविधियां बढ़ती हुई दिख रही हैं। उड़ी के पहले राजौरी में दो आतंकी मारे गए थे। इसके अलावा अनंतनाग के जंगलों में चार दिन से मुठभेड़ चल रही है। इस मुठभेड़ में सेना के कर्नल और मेजर समेत जम्मू-कश्मीर के डीएसपी वीरगति को प्राप्त हुए। इसके अतिरिक्त एक सैनिक भी बलिदान हुआ।

राजौरी में भी आतंकियों से मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को क्षति उठानी पड़ी थी। आतंक विरोधी अभियानों को और अधिक सतर्कता से संचालित करने की आवश्यकता है, ताकि हमारे जवानों को क्षति न उठानी पड़े। सावधानी बरतने की आवश्यकता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि आतंकी अपने तौर-तरीके बदल रहे हैं और छिपने के नए ठिकाने भी बना रहे हैं। अनंतनाग के जंगलों में जारी मुठभेड़ यही बता रही कि वहां छिपे आतंकी कितनी तैयारी से आए थे। सीमा पर चौकसी बढ़ाने के साथ इस पर भी ध्यान देना होगा कि कश्मीर में आतंकियों के जो समर्थक हैं, उन पर शिकंजा और कैसे कसा जाए? आतंकी अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में इसीलिए सफल हैं, क्योंकि उनके समर्थक उन्हें संरक्षण-सहयोग देते हैं।