रोहित कौशिक। जैसे कोई जुगाड़ लगाकर टूटे हुए पाइप या टंकी से लीक होते पानी को किसी तरह रोकने की कोशिश की जाती है, उसी तरह परीक्षाओं के पेपरलीक होने की घटनाओं को रोकने की कोशिश की जाती है। नतीजा ढाक के तीन पात रहता है। एक तरफ पानी लीक होता रहता है तो दूसरी तरफ पेपर भी लीक होते रहते हैं। अब तो ऐसी घटनाएं आम हो गई हैं। कभी-कभी यह लगता है कि सबने यह मान लिया है कि शायद यही इस समय की नियति है। जिस तरह पाइप से थोड़ा-थोड़ा पानी लीक होने को बहुत बड़ी घटना नहीं माना जाता, उसी तरह का रवैया पेपर लीक होने की घटनाओं को लेकर भी दिखता है। इसीलिए अब तक पचासों पेपर लीक हो चुके हैं और इसी कारण पेपरलीक के मामलों से तब तक इन्कार किया जाता रहता है, जब तक पानी सिर से ऊपर नहीं बहने लगता।

हमारी जिंदगी में भी कुछ न कुछ लीक होता ही रहता है। कुछ लोग लीक होने का दर्द झेलकर जिंदगी जी लेते हैं तो कुछ लोग इस चिंता में जिंदगी जीते हैं कि कहीं उनके राज लीक न हो जाएं। सभी की जिंदगी में कुछ न कुछ राज तो होते ही हैं। जब बात राज की चली है तो हमें यह भी पता होना चाहिए कि किस राज की बात हो रही है? राज दो तरह के होते हैं। एक तो वह राज होता है, जिसमें कोई रहस्य छिपा होता है और दूसरा राज वह होता है, जिसे हम हुकूमत कहते हैं। राज पर बात चले और खाज पर बात न हो, ऐसा नहीं हो सकता। कहते हैं राज और खाज का चोली दामन का साथ है।

दोनों ही तरह के राज का खाज के साथ घनिष्ठ संबंध है। अगर किसी इंसान को यह पता चल जाए कि उसके मित्र का कोई राज है तो उसे यह खाज लग जाती है कि मित्र का राज पता चलना चाहिए। जब तक मित्र का राज पता नहीं चलता, तब तक उसे खाज लगती रहती है। जब उसे मित्र का राज पता चल जाता है तो उसे दूसरी खाज यह लगती है कि यह राज किस तरह पूरे मुहल्ले को बताया जाए। उसे तब तक चैन नहीं आता, जब तक कि वह इस राज को पूरे मुहल्ले में लीक न कर दे। दूसरी तरफ जब कहीं किसी भी रूप में इंसान की हुकूमत यानी राज चलता है तो प्रतिद्वंद्वी को यह खाज लगनी शुरू हो जाती है कि राज लीक करके कैसे इसका राज यानी हुकूमत समाप्त कराई जाए।

हमारे मुहल्ले के शर्मा जी सदैव यह देखते रहते हैं कि कहां क्या लीक हो रहा है। मुहल्ले में जो भी कुछ लीक होता है, वह शर्मा जी को जरूर पता रहता है। इसलिए लोग अतिरिक्त सतर्कता बरतते हैं कि शर्मा जी तक कोई बात न पहुंचे, लेकिन शर्मा जी ठहरे लीक एक्सपर्ट। इसलिए उन तक बात पहुंच ही जाती है। एक बार दूसरों के घरों में ताक-झांक करने में शर्मा जी इतने तल्लीन हो गए कि उन्हें यह पता ही नहीं चला कि उनके घर से भी बहुत कुछ लीक हो रहा है। उनके घर से इतना कुछ लीक हुआ कि उनकी नींव ही हिल गई।

राजनीति में तो रोज नई-नई बातें लीक होती ही रहती हैं। एक बात लीक हो जाती है तो कई दिनों तक उसी पर राजनीति चलती रहती है। पूरी राजनीति लीक होने के सिद्धांत पर ही टिकी हुई है। सत्ता पक्ष चाहता है कि उसके द्वारा शुरू की गई योजनाओं में कुछ लीक न हो, लेकिन विपक्ष अच्छी योजनाओं में भी कुछ न कुछ लीक होने या जानबूझकर लीक करने की संभावना ढूंढ़ता रहता है। राजनीति में कुछ लीक न हो तो राजनीति ही खत्म हो जाएगी। अभी पेपर लीक कांड के चलते देश में राजनीतिक माहौल काफी गर्म है। हालांकि इस गर्म माहौल में बरसात का मौसम शुरू हो चुका है। ज्यादा बारिश में कच्ची छतों से ही नहीं, बल्कि सीमेंट की पक्की छतों से भी पानी लीक होने लगता है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हमारी जिंदगी तेजी से लीक हो रही है। दुखद यह है कि लीक होती जिंदगी पर कोई चर्चा नहीं होती।