इजरायलफिलिस्तीनयुद्ध

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क्यों सुलगते रहे हैं इजरायल और फलस्तीन? क्या है हमास और विवाद की जड़

7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर रॉकेटों से हमला किया और उसके लड़ाकों ने भी यहूदियों के साथ मारकाट भी की। नतीजा यह हुआ कि इजरायल ने हमास को जड़ से समाप्त करने की मुहिम शुरू कर दी है। इजरायल और फलस्तीन संघर्ष में यह एक ताजा अध्याय है। हमास सबसे बड़ा फलस्तीनी आतंकी समूह और क्षेत्र के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक है। वर्तमान में ये गाजा पट्टी में 20 लाख से अधिक फलस्तीनी आबादी पर शासन कर रहा है। यह विवाद 19वीं शताब्दी के अंतिम दौर में फलस्तीन में यहूदी आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यहूदी देश के लिए मांग ने जोर पकड़ा और इजरायल का जन्म हुआ। 1948 में संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन के समर्थन से इजरायल का जन्म हुआ। विवादों के बीच बने नए देश ने शुरू से ही युद्ध देखा है। पहला अरब इजरायल युद्ध 1949 में इजरायल की जीत के साथ समाप्त हुआ था। 75 वर्षों में इजरायल ने अरब देशों के साथ कई युद्ध लड़े और फलस्तीन के आतंकवाद का सामना भी किया। साथ ही उसने खुद को आधुनिक और मजबूत भी बनाया।

इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष: समयरेखा

  • 2023
    इज़राइल सेना ने जेनिन शरणार्थी शिविरों पर छापा मारा
  • 2021
    इजराइल ने यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद पर छापा मारा
  • 2020
    इज़राइल, यूएई और बहरीन के बीच अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर
  • 2014
    हमास के गुर्गों द्वारा अपहरण, 3 इजरायली किशोरों की हत्या के बाद संघर्ष में 1900 से अधिक लोग मारे गए
  • 2012
    इज़राइल ने हमास के सैन्य प्रमुख अहमद अल-जाबरी को मार डाला
  • 2009
    इज़राइल और फ़िलिस्तीनी सैन्य समूहों ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की
  • 2005
    इज़राइल गाजा ने गाजा से सेना हटा ली लेकिन अपनी सीमाओं पर कड़ा नियंत्रण रखा
  • 1993
    इज़राइल और फ़िलिस्तीन ने ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर किए
  • 1987
    इजरायली कब्जे के खिलाफ पहले इंतिफादा के लोकप्रिय विद्रोह की शुरुआत
  • 1979
    इज़राइल-मिस्र शांति संधि, इज़राइल सिनाई प्रायद्वीप से हट गया
  • 1967
    छह दिवसीय युद्ध के दौरान इज़राइल ने गाजा पट्टी, सिनाई प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया
  • 1948
    नकबा या फ़िलिस्तीनियों का सामूहिक विस्थापन, इज़रायली राज्य का निर्माण

यहूदियों की कहानी

इजरायल बनने की कहानी शताब्दियों पुरानी है। यहूदियों ने इसके लिए करीब 2500 साल तक संघर्ष किया है। अपनी जमीन से तितर-बितर होकर पूरी दुनिया में जाकर बसे। सदियों बाद इतिहास ने करवट ली तो 50 से ज्यादा अरब देशों के विरोध के बावजूद इजरायल अस्तित्व में आया।

बालफोर समझौता

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान 2 नवंबर 1917 को ब्रिटेन और यहूदियों के बीच बालफोर समझौता हुआ। इस समझौते के मुताबिक अगर ब्रिटेन युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य को हरा देगा तो फलस्तीन के इलाके में यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र देश दिया जाएगा। इसके बाद आलिया में तेजी आ गई। आलिया यहूदियों का दूसरे देशों से यरूशलम की तरफ पलायन करने को कहा जाता है।

फलस्तीन के दो हिस्से

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने एक विभाजन योजना का प्रस्ताव रखा था। इसके अनुसार, फलीस्तीन को दो अलग-अलग यहूदी और अरब राज्यों में विभाजित करना था। इसमें से यरूशलेम को एक अंतर्राष्ट्रीय शहर का दर्जा दिया जाना था। इस योजना को यहूदी नेताओं ने तो स्वीकार कर लिया था लेकिन अरब नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया, जिससे हिंसा भड़क उठी थी।

1956 के दौर से ही शुरू हो गया था युद्ध

इजरायल ने फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के साथ मिलकर 1956 में मिस्र पर हमला किया था। इस हमले का मकसद स्वेज नहर पर कब्जा करने और मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर को उखाड़ फेंकना था। माना जाता है कि इजरायल ने 1960 के दशक में ही परमाणु हथियार विकसित कर लिए थे। हालांकि, इजरायल ने कभी भी औपचारिक रूप से इसको स्वीकारा नहीं है।

हमास क्या है

आतंकी संगठन हमास एक ऐसे व्यक्ति ने बनाया, जिसने बचपन में ही नफरत में इजरायल को खत्म करने की कसम खा ली थी। 1948 में इजरायल फलस्तीन संघर्ष के बाद एक गांव अल-जुरा को बुलडोजर से खत्म कर दिया गया था। इस गांव में 1936 में जन्मे शेख अहमद यासीन ने 12 साल की उम्र में अपनी आंखों के सामने अपने घर को नष्ट होते देखा तो उसके मन में इजरायल के खिलाफ जहर घुल गया। यासीन परिवार सहित गाजा पट्टी आकर बस तो गया, लेकिन उसने इजरायल के खात्मे की कसम खा ली थी।

नुखबा फोर्स

नुखबा गाजा पट्टी की एक स्पेशल फोर्स है। इससे शामिल लड़ाकों का चुनाव हमास के वरिष्ठ लड़ाकों की एक कमेटी करती है। इस फोर्स में शामिल लड़ाके घात, छापा मारने और सुरंग के जरिए इजरायल में घुसपैठ करके हमला करने में माहिर होते हैं। ये लड़ाके एंटी टैक मिसाइल, राकेट और स्नाइपर रायफल से हमला करने में भी कुशल होते हैं। नुखबा फोर्स के सदस्य असाल्ट रायफल, स्नाइपर रायफल और मशीन गन से लैस रहते हैं।

अल-अक्सा

यह स्थान यरुशलम के पुराने शहर का हिस्सा है, जो ईसाइयों, यहूदियों और मुसलमानों का पवित्र स्थल है। यूनेस्को ने पुराने शहर यरुशलम और इसकी दीवारों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। यह परिसर इजरायल और फलीस्तीन के बीच संघर्ष का कारण है। टेंपल माउंट यरुशलम में पुराने शहर के अंदर एक चारदीवारी वाला परिसर है जहां दो संरचनाएं हैं। उत्तर दिशा में डोम ऑफ द रॉक और दक्षिण में अल-अक्सा है।

मोसाद

मोसाद, इजरायल की खुफिया एजेंसी है। सात हजार मंझे हुए कर्मियों के साथ यह एजेंसी दुनियाभर में अजेय और किलिंग मशीन के नाम से मशहूर है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआइए के बाद पश्चिम की सबसे ताकतवर एजेंसी मानी जाती है। हालांकि इजरायल पर हमास के हमले को रोकने में यह नाकाम रही। मोसाद के कई विभाग हैं, लेकिन इसकी आंतरिक संरचना का विवरण ज्यादातर गुप्त रहता है।

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